श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 16: भगवान् परशुराम द्वारा विश्व के क्षत्रियों का विनाश  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  9.16.26 
 
 
आस्तेऽद्यापि महेन्द्राद्रौ न्यस्तदण्ड: प्रशान्तधी: ।
उपगीयमानचरित: सिद्धगन्धर्वचारणै: ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  आज भी भगवान् परशुराम महेन्द्र नामक पर्वतीय प्रदेश में ब्राह्मण के रूप में अपने बुद्धिमान व्यक्तित्व के साथ निवास कर रहे हैं। पूर्ण रूप से सन्तुष्ट और क्षत्रिय के हथियारों का परित्याग कर वे स्वभाव और कार्यों के कारण सिद्धों, गन्धर्वों और चारणों द्वारा सदैव पूजित, वन्दित और प्रशंसित हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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