श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 15: भगवान् का योद्धा अवतार, परशुराम  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  9.15.40 
 
 
क्षमया रोचते लक्ष्मीर्ब्राह्मी सौरी यथा प्रभा ।
क्षमिणामाशु भगवांस्तुष्यते हरिरीश्वर: ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  ब्राह्मणों को क्षमाशीलता के गुण का विकास करना चाहिए क्योंकि यह सूर्य की तरह चमकदार है। क्षमाशील लोगों से भगवान हरि प्रसन्न होते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.