श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 15: भगवान् का योद्धा अवतार, परशुराम  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  9.15.37 
 
 
स्वकर्म तत्कृतं राम: पित्रे भ्रातृभ्य एव च ।
वर्णयामास तच्छ्रुत्वा जमदग्निरभाषत ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  परशुराम ने अपने पिता और भाइयों को कार्तवीर्यार्जुन के वध सम्बन्धी अपनी गतिविधियों का वर्णन किया। इन कार्यों को सुनकर जमदग्नि ने अपने पुत्र से इस प्रकार कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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