अपने फरसे और बाणों की चोटों से परशुराम ने कार्तवीर्यार्जुन के सैनिकों की ढालों, उनके झंडों, धनुषों और उनके शरीरों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। युद्धभूमि में ये सैनिक गिरते गए और उनके लहू से धरती सराबोर हो गई। अपनी सेना की यह हार देखकर कार्तवीर्यार्जुन क्रोध में भरकर युद्धभूमि की ओर दौड़ा।