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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 15: भगवान् का योद्धा अवतार, परशुराम
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श्लोक 28
श्लोक
9.15.28
घोरमादाय परशुं सतूणं वर्म कार्मुकम् ।
अन्वधावत दुर्मर्षो मृगेन्द्र इव यूथपम् ॥ २८ ॥
अनुवाद
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अपना भयानक फरसा, ढाल, धनुष और बाणों से भरा तरकस लेकर अत्यधिक क्रोधित परशुराम ने कार्तवीर्यार्जुन का पीछा किया, जैसे कोई सिंह हाथी का पीछा करता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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