अथ राजनि निर्याते राम आश्रम आगत: ।
श्रुत्वा तत् तस्य दौरात्म्यं चुक्रोधाहिरिवाहत: ॥ २७ ॥
अनुवाद
जब कार्तवीर्याजुर् कामधेनु लेकर चला गया तब जमदग्नि का सबसे छोटा पुत्र परशुराम आश्रम में लौटा। जब उसने कार्तवीर्यार्जुन के बुरे काम के बारे में सुना तो वह कुचले हुए साँप की तरह गुस्से से भर गया।