श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 14: पुरुरवा का उर्वशी पर मोहित होना  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  9.14.49 
 
 
पुरूरवस एवासीत् त्रयी त्रेतामुखे नृप ।
अग्निना प्रजया राजा लोकं गान्धर्वमेयिवान् ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महाराज परीक्षित, त्रेता युग की शुरुआत में, राजा पुरुरवा ने एक कर्मकांड यज्ञ शुरू किया। इस तरह, यज्ञ की अग्नि को अपना पुत्र मानने वाले पुरुरवा अपनी इच्छा अनुसार गंधर्वलोक जाने में सफल हुए।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध नौ के अंतर्गत चौदहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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