श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 14: पुरुरवा का उर्वशी पर मोहित होना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  9.14.39 
 
 
संवत्सरान्ते हि भवानेकरात्रं मयेश्वर: ।
रंस्यत्यपत्यानि च ते भविष्यन्त्यपराणि भो: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे मेरे प्रिय राजा, हर साल के बाद तुम मेरे साथ केवल एक रात के लिए पति के रूप में रह सकते हो। इस तरह तुम्हें एक-एक करके अन्य बच्चे भी मिलते रहेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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