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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 9: मुक्ति
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अध्याय 14: पुरुरवा का उर्वशी पर मोहित होना
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श्लोक 38
श्लोक
9.14.38
विधायालीकविश्रम्भमज्ञेषु त्यक्तसौहृदा: ।
नवं नवमभीप्सन्त्य: पुंश्चल्य: स्वैरवृत्तय: ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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स्त्रियाँ पुरुषों की बातों में आसानी से आ जाती हैं। इसलिए दूषित स्त्रियाँ ऐसे पुरुष की मित्रता छोड़ देती हैं जो उनका भला चाहते हैं और मूर्खों से झूठी दोस्ती कर लेती हैं। निःसंदेह, वे लगातार नए-नए मित्र खोजती रहती हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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