वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 9: मुक्ति
»
अध्याय 14: पुरुरवा का उर्वशी पर मोहित होना
»
श्लोक 30
श्लोक
9.14.30
इति वाक्सायकैर्बिद्ध: प्रतोत्त्रैरिव कुञ्जर: ।
निशि निस्त्रिंशमादाय विवस्त्रोऽभ्यद्रवद् रुषा ॥ ३० ॥
अनुवाद
play_arrowpause
उर्वशी के कठोर शब्दों से आहत होकर पुरुरवा उसी प्रकार अत्यधिक क्रुद्ध हुआ जिस प्रकार हाथी महावत के अंकुश से होता है। वह बिना उचित वस्त्र पहने, हाथ में तलवार लेकर मेमना चुराने वाले गन्धर्वों का पीछा करने के लिए नंगा बाहर चला गया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.