माताओं ने अपने पुत्रों को देखकर राम, लक्ष्मण भरत तथा शत्रुघ्न की माताएँ तुरंत जाग उठीं, मानो बेजान शरीर में फिर से चेतना आ गई हो। माताओं ने अपने पुत्रों को अपनी गोद में बैठाया और उन्हें आँसुओं से स्नान कराकर अपने लंबे समय तक अलग रहने के दुःख से मुक्ति पाई।