श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 10: परम भगवान् रामचन्द्र की लीलाएँ  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  9.10.33 
 
 
अवकीर्यमाण: सुकुसुमैर्लोकपालार्पितै: पथि ।
उपगीयमानचरित: शतधृत्यादिभिर्मुदा ॥ ३३ ॥
 
अनुवाद
 
  जब भगवान श्री राम अपनी राजधानी अयोध्या में वापस आए तो, रास्ते में लोकपालों ने उनका स्वागत किया और उनके शरीर पर सुंदर सुगंधित फूलों की वर्षा की। ब्रह्मा और अन्य देवताओं जैसे महान हस्तियों ने भगवान श्री राम के कृत्यों का गुणगान करते हुए हर्ष व्यक्त किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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