कृतैषा विधवा लङ्का वयं च कुलनन्दन ।
देह: कृतोऽन्नं गृध्राणामात्मा नरकहेतवे ॥ २८ ॥
अनुवाद
हे राक्षसों की शान, तेरे कारण अब लंका के राज्य और हम सब के भी कोई रक्षक नहीं रहा। अपने किए पर तेरे शरीर को गिद्धों का भोजन और तेरी आत्मा को नरक में जाने का भागी बना दिया है।