श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 9: मोहिनी-मूर्ति के रूप में भगवान् का अवतार  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  8.9.6 
 
 
सा त्वं न: स्पर्धमानानामेकवस्तुनि मानिनि ।
ज्ञातीनां बद्धवैराणां शं विधत्स्व सुमध्यमे ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  हम सभी अभी एक ही विषय—अमृत घट—के कारण परस्पर शत्रुता में लगे हुए हैं। यद्यपि हम एक ही परिवार में जन्मे हैं, फिर भी हम में शत्रुता बढ़ती जा रही है। हे सुकुमार कटि वाली, उच्च पद से सुशोभित सुन्दरी! इसलिए हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि आप हमारे इस झगड़े को सुलझाने की कृपा करें।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.