श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 9: मोहिनी-मूर्ति के रूप में भगवान् का अवतार  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.9.5 
 
 
नूनं त्वं विधिना सुभ्रू: प्रेषितासि शरीरिणाम् ।
सर्वेन्द्रियमन:प्रीतिं विधातुं सघृणेन किम् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे सुंदर भौहों वाली सुंदरी! निस्संदेह, ईश्वर ने अपनी निस्वार्थ कृपा से तुम्हें हम सबकी इंद्रियों और मन को प्रसन्न करने के लिए भेजा है। क्या यह सत्य नहीं है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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