श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 9: मोहिनी-मूर्ति के रूप में भगवान् का अवतार  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.9.4 
 
 
न वयं त्वामरैर्दैत्यै: सिद्धगन्धर्वचारणै: ।
नास्पृष्टपूर्वां जानीमो लोकेशैश्च कुतो नृभि: ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  जबकि देवता, राक्षस, सिद्ध, गंधर्व, चारण और ब्रह्मांड के विभिन्न नियंत्रक, प्रजापति तक भी तुम्हें पहले कभी नहीं छू पाए, फिर भी हम तुम्हें सही ढंग से नहीं पहचान पा रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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