श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 9: मोहिनी-मूर्ति के रूप में भगवान् का अवतार  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  8.9.24 
 
 
देवलिङ्गप्रतिच्छन्न: स्वर्भानुर्देवसंसदि ।
प्रविष्ट: सोममपिबच्चन्द्रार्काभ्यां च सूचित: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  सूर्य तथा चंद्रमा को ग्रहण लगाने वाला राक्षस राहु देवताओं के वस्त्र पहनकर देवताओं की सभा में घुस गया और किसी को भी पता नहीं चला, यहाँ तक के भगवान् को भी नहीं। लेकिन चंद्रमा और सूर्य, राक्षस राहु से स्थायी शत्रुता रखते थे, इसलिए उन्हें स्थिति का पता लग गया। इस तरह राहु का असली रूप सबके सामने आ गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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