श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 7: शिवजी द्वारा विषपान से ब्रह्माण्ड की रक्षा  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  8.7.42 
 
 
तत: करतलीकृत्य व्यापि हालाहलं विषम् ।
अभक्षयन्महादेव: कृपया भूतभावन: ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, समाज के लिए शुभ अथवा उपकारी कार्य करने में समर्पित शिवजी ने दयापूर्वक सारा ज़हर अपनी हथेली पर रखा और उसे पी गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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