श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 7: शिवजी द्वारा विषपान से ब्रह्माण्ड की रक्षा  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  8.7.38 
 
 
आसां प्राणपरीप्सूनां विधेयमभयं हि मे ।
एतावान्हि प्रभोरर्थो यद् दीनपरिपालनम् ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  जीवन-संघर्ष में संघर्ष कर रहे समस्त प्राणियों को सुरक्षा प्रदान करना मेरा कर्तव्य है। निःसंदेह स्वामी का कर्तव्य है कि वह दुखी अधीनस्थों की रक्षा करे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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