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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 7: शिवजी द्वारा विषपान से ब्रह्माण्ड की रक्षा
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श्लोक 37
श्लोक
8.7.37
श्रीशिव उवाच
अहो बत भवान्येतत् प्रजानां पश्य वैशसम् ।
क्षीरोदमथनोद्भूतात् कालकूटादुपस्थितम् ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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शिवजी ने कहा: हे प्रिय भवानी! जरा देखो तो कैसा संकट आया है इन सारे जीवों पर समुद्र मंथन में पैदा हुए विष के कारण।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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