श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 7: शिवजी द्वारा विषपान से ब्रह्माण्ड की रक्षा  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  8.7.20 
 
 
विलोक्य तं देववरं त्रिलोक्या
भवाय देव्याभिमतं मुनीनाम् ।
आसीनमद्रावपवर्गहेतो-
स्तपो जुषाणं स्तुतिभि: प्रणेमु: ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  देवताओं ने देखा कि भगवान शिव अपनी पत्नी भवानी के साथ कैलाश पर्वत की चोटी पर बैठकर तीनों लोकों के कल्याण के लिए तपस्या कर रहे हैं। मुक्ति की कामना करने वाले महान ऋषि-मुनि भी उनकी पूजा कर रहे थे। देवताओं ने उन्हें प्रणाम किया और आदरपूर्वक प्रार्थना की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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