चूंकि वासुकि की दहकती साँसों से देवता भी प्रभावित हुए थे, तब उनकी कान्ति कम हो गई और उनके वस्त्र, मालाएँ, आयुध एवं उनके चेहरे धुएँ से काले पड़ गए। किन्तु भगवान की कृपा से समुद्र के ऊपर बादल प्रकट हो गए और वे मूसलाधार वर्षा करने लगे। समुद्री लहरों से जल के कण लेकर मन्द समीर बहने लगे जिससे देवताओं को राहत मिली।