श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 6: देवताओं तथा असुरों द्वारा सन्धि की घोषणा  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  8.6.39 
 
 
अवरोप्य गिरिं स्कन्धात् सुपर्ण: पततां वर: ।
ययौ जलान्त उत्सृज्य हरिणा स विसर्जित: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात, पक्षियों के राजा गरुड़ ने अपने कंधों से मंदरा पर्वत को उतारा और उसे जल के निकट ले गए। उसके बाद भगवान ने उसे उस स्थान से चले जाने को कहा और वह चला गया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत छठा अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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