श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 6: देवताओं तथा असुरों द्वारा सन्धि की घोषणा  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  8.6.36 
 
 
तांस्तथा भग्नमनसो भग्नबाहूरुकन्धरान् ।
विज्ञाय भगवांस्तत्र बभूव गरुडध्वज: ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  देवता और असुर निराश और हताश थे, उनकी भुजाएँ, जाँघें और कंधे टूट चुके थे। तब सर्वज्ञ भगवान, जो सब कुछ जानते हैं, गरुड़ की पीठ पर सवार होकर वहाँ प्रकट हुए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.