श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 6: देवताओं तथा असुरों द्वारा सन्धि की घोषणा  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  8.6.35 
 
 
निपतन्स गिरिस्तत्र बहूनमरदानवान् ।
चूर्णयामास महता भारेण कनकाचल: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  मंदरा पर्वत, जो अति भारी था और जो सोने का बना हुआ था, गिर पड़ा और उसने अनेक देवताओं और असुरों को कुचल दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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