श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 6: देवताओं तथा असुरों द्वारा सन्धि की घोषणा  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  8.6.32 
 
 
ततो देवासुरा: कृत्वा संविदं कृतसौहृदा: ।
उद्यमं परमं चक्रुरमृतार्थे परन्तप ॥ ३२ ॥
 
अनुवाद
 
  हे शत्रुदमनकारी महाराज परीक्षित! तदनंतर देवताओं एवं दानवों के मध्य समझौता हो गया और इन्होंने भगवान इन्द्र के द्वारा सुझाए गए अमृत उत्पादन की योजना को बड़े परिश्रम से क्रियान्वित करने की व्यवस्था की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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