तत्त्वरोचत दैत्यस्य तत्रान्ये येऽसुराधिपा: ।
शम्बरोऽरिष्टनेमिश्च ये च त्रिपुरवासिन: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
राजा इन्द्र द्वारा दिए गए प्रस्ताव बलि महाराज और उनके सहायकों ने, जिनमें शम्बर और अरिष्टनेमि मुख्य थे, और त्रिपुरा के सभी अन्य निवासियों ने तुरंत ही स्वीकार कर लिए।