न भेतव्यं कालकूटाद् विषाज्जलधिसम्भवात् ।
लोभ: कार्यो न वो जातु रोष: कामस्तु वस्तुषु ॥ २५ ॥
अनुवाद
क्षीरसागर से कालकूट नामक विष की उत्पत्ति होगी, लेकिन आपको उससे डरने की ज़रूरत नहीं है। जब समुद्र के मंथन से अलग-अलग चीजें निकलेंगी, तो आपको न तो उनको पाने के लिए लालच करना होगा, न ही उत्सुक होना होगा और न ही क्रोधित होना होगा।