तेनैव सहसा सर्वे देवा: प्रतिहतेक्षणा: ।
नापश्यन्खं दिश: क्षौणीमात्मानं च कुतो विभुम् ॥ २॥
अनुवाद
भगवान के तेज से सारे देवताओं की दृष्टि धुंधली हो गई। वे न तो आकाश, दिशाओं और न ही धरती को देख सके। यहाँ तक कि वे अपने आप को भी नहीं देख सके। उनके सामने उपस्थित भगवान को देखना तो दूर की बात थी।