जैसे वन अग्नि से पीडित हाथी गंगाजल पाकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं, उसी प्रकार हे कमलनाभ प्रभु! आप हमारे सामने प्रकट हुए हैं, इसलिए हम परमानंद का अनुभव कर रहे हैं। हम लंबे समय से आपके दर्शन की अभिलाषा कर रहे थे और अब आपका दर्शन पाकर हमने जीवन का परम लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।