श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 6: देवताओं तथा असुरों द्वारा सन्धि की घोषणा  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  8.6.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
एवं स्तुत: सुरगणैर्भगवान् हरिरीश्वर: ।
तेषामाविरभूद् राजन्सहस्रार्कोदयद्युति: ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजन परीक्षित! देवताओं एवं ब्रह्मा जी ने भगवान हरि की स्तुति की और वे उनके सामने प्रकट हुए। भगवान् हरि का शरीर तेज से चमक रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे हजारों सूरज एक साथ उदय हो रहे हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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