श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  8.5.49 
 
 
यथा हि स्कन्धशाखानां तरोर्मूलावसेचनम् ।
एवमाराधनं विष्णो: सर्वेषामात्मनश्च हि ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  जब वृक्ष की जड़ में जल डाला जाता है, तो वृक्ष का तना और शाखाएँ स्वतः ही प्रसन्न हो जाती हैं। इसी प्रकार, जब कोई भगवान विष्णु का भक्त बनता है, तो इससे प्रत्येक व्यक्ति की सेवा हो जाती है, क्योंकि भगवान सभी के परमात्मा हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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