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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना
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श्लोक 48
श्लोक
8.5.48
नावम: कर्मकल्पोऽपि विफलायेश्वरार्पित: ।
कल्पते पुरुषस्यैव स ह्यात्मा दयितो हित: ॥ ४८ ॥
अनुवाद
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भगवान को समर्पित प्रयास, फिर चाहे वे छोटे ही क्यों न हो, व्यर्थ नहीं जाते। परम पिता होने के कारण भगवान हमारे बहुत करीब हैं और जीवों के कल्याण के लिए हर समय कार्य करने को तैयार रहते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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