श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  8.5.46 
 
 
तैस्तै: स्वेच्छाभूतै रूपै: काले काले स्वयं विभो ।
कर्म दुर्विषहं यन्नो भगवांस्तत् करोति हि ॥ ४६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे भगवान! सर्वोच्च व्यक्ति, आपने इच्छानुसार युग-युगों से विभिन्न अवतार लिए हैं। इस दौरान आप अद्भुत कार्य करते हैं और ऐसे असामान्य कामों में शामिल होते हैं जिन्हें हम जैसे साधारण प्राणियों के लिए कर पाना बहुत कठिन ही नहीं बल्कि असंभव है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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