श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  8.5.45 
 
 
स त्वं नो दर्शयात्मानमस्मत्करणगोचरम् ।
प्रपन्नानां दिद‍ृक्षूणां सस्मितं ते मुखाम्बुजम् ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे भगवान, हम आपके चरणों में समर्पित हैं, फिर भी हम आपको देखना चाहते हैं। कृपा करके अपने मूल रूप और मुस्कुराते हुए कमल के चेहरे को हमारी आँखों को दिखाएँ और हमारी अन्य इंद्रियों द्वारा अनुभव करने दें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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