विप्रो मुखाद् ब्रह्म च यस्य गुह्यं
राजन्य आसीद् भुजयोर्बलं च ।
ऊर्वोर्विडोजोऽङ्घ्रिरवेदशूद्रौ
प्रसीदतां न: स महाविभूति: ॥ ४१ ॥
अनुवाद
भगवान के मुख से ब्राह्मण और वैदिक ज्ञान निकले, उनकी भुजाओं से क्षत्रिय और शारीरिक शक्ति निकली, उनकी जांघों से वैश्य और उत्पादन व धन का ज्ञान निकला और वेद ज्ञान से अलग रहे शूद्र उनके चरणों से निकले। ऐसे भगवान जो पराक्रम से पूर्ण हैं, हम पर प्रसन्न रहें।