श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  8.5.39 
 
 
बलान्महेन्द्रस्त्रिदशा: प्रसादा-
न्मन्योर्गिरीशो धिषणाद् विरिञ्च: ।
खेम्यस्तुछन्दांस्यृषयो मेढ्रत: क:
प्रसीदतां न: स महाविभूति: ॥ ३९ ॥
 
अनुवाद
 
  स्वर्ग का राजा महेन्द्र भगवान् के सामर्थ्य से बना था, देवता भगवान् की दया से बने थे, शिवजी भगवान् के क्रोध से बने थे और ब्रह्माजी उनकी संयमित बुद्धि से बने थे। सभी वैदिक मंत्र भगवान् के शरीर के छिद्रों से उत्पन्न हुए थे और ऋषि और प्रजापति उनकी जननेन्द्रियों से बने थे। ऐसे अत्यंत शक्तिशाली भगवान् हम पर प्रसन्न हों!
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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