श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  8.5.37 
 
 
प्राणादभूद् यस्य चराचराणां
प्राण: सहो बलमोजश्च वायु: ।
अन्वास्म सम्राजमिवानुगा वयं
प्रसीदतां न: स महाविभूति: ॥ ३७ ॥
 
अनुवाद
 
  हवा से सभी जीवित प्राणी, जंगम और स्थिर, अपनी जीवन शक्ति, शारीरिक शक्ति और अपना जीवन प्राप्त करते हैं। हम सभी अपने जीवन शक्ति के लिए हवा का पालन उसी प्रकार करते हैं जैसे सेवक राजा का अनुसरण करते हैं। वायु की जीवन शक्ति सर्वोच्च भगवान के मूल जीवन शक्ति से उत्पन्न होती है। भगवान हमसे प्रसन्न रहें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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