ब्रह्मजी ने कहा: हे परमेश्वर, हे अविकारी, असीम परम सत्य! आप प्रत्येक वस्तु के उद्गम हैं। आप सर्वव्यापी हैं, इसलिये आप प्रत्येक के हृदय में और परमाणु में भी हैं। आपमें कोई भौतिक गुण नहीं हैं। नि:संदेह, आप अचिन्त्य हैं। मन आपको कल्पना से ग्रहण नहीं कर सकता और शब्द आपका वर्णन करने में असमर्थ हैं। आप सभी के परम स्वामी हैं; अत: आप सभी के आराध्य हैं। हम आपको विनम्रतापूर्वक नमन करते हैं।