श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 5: देवताओं द्वारा भगवान् से सुरक्षा याचना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  8.5.14 
 
 
श्रीसूत उवाच
सम्पृष्टो भगवानेवं द्वैपायनसुतो द्विजा: ।
अभिनन्द्य हरेर्वीर्यमभ्याचष्टुं प्रचक्रमे ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री सूत गोस्वामी ने कहा: हे विद्वान ब्राह्मणों! जब द्वैपायन पुत्र शुकदेव गोस्वामी से राजा ने इस तरह से प्रश्न पूछा तो उन्होंने राजा को बधाई दी और फिर परमेश्वर की महिमा का और वर्णन करने का प्रयास किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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