वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 4: गजेन्द्र का वैकुण्ठ गमन
»
श्लोक 5
श्लोक
8.4.5
सोऽनुकम्पित ईशेन परिक्रम्य प्रणम्य तम् ।
लोकस्य पश्यतो लोकं स्वमगान्मुक्तकिल्बिष: ॥ ५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
भगवान की अहैतुकी कृपा से अपने पूर्व रूप को पुनः प्राप्त करके राजा हूहू ने भगवान की प्रदक्षिणा की और उन्हें प्रणाम किया। तब ब्रह्मा समेत सभी देवताओं की उपस्थिति में वह गन्धर्वलोक लौट गये। अब वे सभी पाप कर्मों से मुक्त हो चुके थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.