श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 4: गजेन्द्र का वैकुण्ठ गमन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  8.4.5 
 
 
सोऽनुकम्पित ईशेन परिक्रम्य प्रणम्य तम् ।
लोकस्य पश्यतो लोकं स्वमगान्मुक्तकिल्बिष: ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान की अहैतुकी कृपा से अपने पूर्व रूप को पुनः प्राप्त करके राजा हूहू ने भगवान की प्रदक्षिणा की और उन्हें प्रणाम किया। तब ब्रह्मा समेत सभी देवताओं की उपस्थिति में वह गन्धर्वलोक लौट गये। अब वे सभी पाप कर्मों से मुक्त हो चुके थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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