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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 4: गजेन्द्र का वैकुण्ठ गमन
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श्लोक 1
श्लोक
8.4.1
श्रीशुक उवाच
तदा देवर्षिगन्धर्वा ब्रह्मेशानपुरोगमा: ।
मुमुचु: कुसुमासारं शंसन्त: कर्म तद्धरे: ॥ १ ॥
अनुवाद
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श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब भगवान् ने हाथियों के राजा गजेन्द्र का उद्धार किया तो ब्रह्मा और शिव के नेतृत्व में सभी ऋषियों, गन्धर्वों और देवताओं ने भगवान् के इस कार्य की प्रशंसा की और भगवान् तथा गजेन्द्र दोनों के ऊपर फूलों की वर्षा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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