य: स्वात्मनीदं निजमाययार्पितं
क्वचिद् विभातं क्व च तत् तिरोहितम् ।
अविद्धदृक् साक्ष्युभयं तदीक्षते
स आत्ममूलोऽवतु मां परात्पर: ॥ ४ ॥
अनुवाद
भगवान अपनी शक्ति के प्रसार से कभी इस दृश्यमान जगत को प्रकट करते हैं, तो कभी इसे अपने में लीन कर लेते हैं। वे सभी परिस्थितियों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों ही कारण और परिणाम हैं, प्रेक्षक और साक्षी दोनों हैं। इस तरह वे हर चीज से परे हैं। ऐसे भगवान ही मेरी रक्षा करें।