तत्पश्चात्, गजेन्द्र को इस प्रकार से संकट में देखकर अजन्मे भगवान् हरि अपनी अहैतुकी कृपा से तुरंत गरुड़ की पीठ से उतर आए और उन्होंने गजेन्द्र को मगरमच्छ समेत पानी से बाहर खींच लिया। तब सभी देवता जो इस दृश्य को देख रहे थे, भगवान ने अपने चक्र से मगरमच्छ के मुँह को उसके शरीर से अलग कर दिया। इस प्रकार उन्होंने गजेन्द्र, हाथियों के राजा को बचा लिया।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत तीसरा अध्याय समाप्त होता है ।