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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 7
श्लोक
8.24.7
आसीदतीतकल्पान्ते ब्राह्मो नैमित्तिको लय: ।
समुद्रोपप्लुतास्तत्र लोका भूरादयो नृप ॥ ७ ॥
अनुवाद
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हे राजा परीक्षित! जब बीता कल्प समाप्त हुआ, और ब्रह्मा जी का दिन पूरा हुआ, तो ब्रह्मा जी की रात्रि नींद के कारण प्रलय आ गई और तीनों लोकों में समुद्र का पानी फैल गया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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