मैं उस परमेश्वर को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूँ जिन्होंने एक बड़ी मछली का रूप धरने का ढोंग किया और जब भगवान ब्रह्मा अपनी नींद से जागे तब उन्हें वैदिक साहित्य वापस लौटाया और राजा सत्यव्रत और महान संतों को वैदिक साहित्य का सार समझाया।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत चौबीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।