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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 60
श्लोक
8.24.60
अवतारं हरेर्योऽयं कीर्तयेदन्वहं नर: ।
सङ्कल्पास्तस्य सिध्यन्ति स याति परमां गतिम् ॥ ६० ॥
अनुवाद
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जो कोई भी मत्स्य अवतार तथा राजा सत्यव्रत के इस वर्णन को सुनता है, उसकी सारी इच्छाएँ पूर्ण होंगी और वह निःसंदेह भगवान के धाम वापस लौट जाएगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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