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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 59
श्लोक
8.24.59
सत्यव्रतस्य राजर्षेर्मायामत्स्यस्य शार्ङ्गिण: ।
संवादं महदाख्यानं श्रुत्वा मुच्येत किल्बिषात् ॥ ५९ ॥
अनुवाद
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यह महान राजा सत्यव्रत तथा भगवान विष्णु के मत्स्यावतार से सम्बंधित कथा एक अत्यंत दिव्य आख्यान है। जो कोई भी इसे सुनता है, वह पापमय जीवन से उत्पन्न होने वाले परिणामों से मुक्त हो जाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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