श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 57
 
 
श्लोक  8.24.57 
 
 
अतीतप्रलयापाय उत्थिताय स वेधसे ।
हत्वासुरं हयग्रीवं वेदान् प्रत्याहरद्धरि: ॥ ५७ ॥
 
अनुवाद
 
  (स्वायंभुव मनु के काल में) पिछली बाढ़ के अंत में भगवान ने हयग्रीव नामक असुर का वध किया और जब भगवान ब्रह्मा नींद से जागे तो उन्होंने उन्हें सारे वैदिक साहित्य प्रदान कर दिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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