हे प्रभु! आप ही सबके सच्चे शुभचिंतक और सबसे प्यारे मित्र हैं। आप ही सबके नियंत्रक हैं, परमात्मा हैं, सर्वोच्च उपदेशक हैं, परम ज्ञान के दाता हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले हैं। हालाँकि आप हृदय में ही रहते हैं, किन्तु हृदय में बसी वासनाओं के कारण मूर्ख व्यक्ति आपको समझ नहीं पाता।